मैं जिन्हें अवधार कर चल चुका हूं।

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आज देखो सांस अंतिम ले रहा हूं  है कोई शिकवा तुझे तो बोल देना । हो चुका निष्काम मेरा देह अब तो पंच मुट्ठी  भर के  मिट्टी मोल  देना। सौंप देना  ...

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