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यादों का तहखाना आज दिल का तहखाना टटोला तो। ना जानें कितनी यादें द़बी थी। वह सगाई वाली पहली मुंदरी। जो नज़ाकत से मेरे हाथों में सज़ी थी। मोती गोटा लगा ...