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कशमकश हर शख्स अपने साथ, लिए फिरता है ... एक अफसाना-ए-\\'कशमकश\\' परेशां है वो इबादत करे या मोहब्बत करे मुकतलिफ़ है ,ज़रूरी है ,किसको मगर सज़दा करे । इबादत से सबाब मिलेगा ...