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गजलों से सजी हुई थी महफ़िल। पुराने गानों के शबाब में। हर कोई था नबाब यहाँ। झूमते हुए तराने के अल्फाज में। सुरमई सपनों सा था समां। चारों तरफ रोशनी का ...