अफसाने हो गए

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देखे बिना अब तो उन्हें कितने ज़माने हो गए। दूर  जब   से  दिलों   के दो   घराने हो   गये। खामोशियों  की सुर्ख चादर  ओढ़े हुई ये रात है। ...

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