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एक अफसाना- यादों के पन्नों से गुज़र रही है जिन्दगी कुछ ऐसे, मानों हाथ से रेत फिसल रही हो जैसे। जब भी मिलते हैं कुछ पल फुर्सत के, याद आते हैं ...