दिसंबर

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फिर  से  घिर  आया  वही  याद  का  मंजर  है  आंखों  के  आगे  वही  घना  शांत  सा  अंबर  है  सोचता हूँ  भुला  दूँगा  याद  तेरी दिल से अपने पर कमबख्त फिर वही ...

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