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एक नज़्म मुलाहिज़ा करें चीज़ सस्ता हूं प बिकता सर– ए–बाज़ार नहीं। मैं किसी हुस्न के जलवों का तरफ़दार नहीं। वो जो मिलें तो उन्हें बाहों में भी भर लूंगा। मेरी ...