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वह पल आज भी दिल में, आराईश करके बैठे हैं, तेरी जुस्तजू में अब्सार बिछाए बैठे हैं, यह हमारी इब्तिला है, हमारे नदीम ही, हमारे अहज़ान से गैर हो बैठे हैं, ...