ज़िन्दगी... अब भी सफर में है!!!

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तू लाख मुझ से दूर सही पर मेरी नज़र में है बेशक मेरी ज़िंदगी की कश्ती आज भँवर में है बहारें कब की बीत गईं चरागें भी हैं बुझी हुई अंधेरा ...

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