जयशंकर प्रसाद जी की कृतियां

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अनबोला जयशंकर प्रसाद उसके जाल में सीपियाँ उलझ गयी थीं। जग्गैया से उसने कहा-‘‘इसे फैलाती हूँ, तू सुलझा दे।’’ जग्गैया ने कहा-‘‘मैं क्या तेरा नौकर हूँ?’’ कामैया ने तिनककर अपने खेलने ...

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