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ध्रुवस्वामिनी (नाटक): जयशंकर प्रसाद द्वितीय अंक : ध्रुवस्वामिनी (एक दुर्ग के भीतर सुनहले कामवाले खम्भों पर एक दालान, बीच में छोटी-छोटी-सी सीढ़ियाँ, उसी के सामने कश्मीरी खुदाई का सुंदर लकड़ी का ...