निःस्वार्थ प्रेम

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कई दिनों से छत  के कोने पर  कबूतर का एक जोड़ा मंडरा रहा था बार बार मैं उड़ा देती फिर वो छत के कोने पर आ बैठ जाता किसी ने बताया ...

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