जयशंकर प्रसाद जी की कृतियां

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नाटकों में रस का प्रयोग (निबन्ध) : जयशंकर प्रसाद पश्चिम ने कला को अनुकरण ही माना है; उस में सत्य नहीं। उन लोगों का कहना है कि "मनुष्य अनुकरणशील प्राणी है, ...

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