जयशंकर प्रसाद जी की कृतियां

104 Part

263 times read

0 Liked

वासना सर्ग भाग-1 चल पड़े कब से हृदय दो, पथिक-से अश्रांत, यहाँ मिलने के लिये, जो भटकते थे भ्रांत। एक गृहपति, दूसरा था अतिथि विगत-विकार, प्रश्न था यदि एक, तो उत्तर ...

Chapter

×