जयशंकर प्रसाद जी की कृतियां

104 Part

278 times read

0 Liked

संघर्ष सर्ग भाग-1 श्रद्धा का था स्वप्न किंतु वह सत्य बना था, इड़ा संकुचित उधर प्रजा में क्षोभ घना था। भौतिक-विप्लव देख विकल वे थे घबराये, राज-शरण में त्राण प्राप्त करने ...

Chapter

×