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मन्दिर : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय (बांग्ला कहानी) नदी किनारे एक गाँव में कुम्हारों के दो घर थे। उनका काम था नदी से मिट्टी उठाकर लाना और साँचे में ढाल के उसके खिलौने ...