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राजू का साहस : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय (बांग्ला कहानी) उन दिनों मैं स्कूल में पढ़ता था। राजू स्कूल छोड़ देने के पश्चात् जन-सेवा में लगा रहता था। कब किस पर कैसी मुसीबत ...