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कविता ःतितली का जीवन चक्र ★★★★★★★★★★★★★ उस बाग में..., हरे पत्तों के ऊपर.. वह चिपचिपा..सा..नन्हे नन्हे अंड समुहों जैसा.. देखकर मैंने सोचा था ..,ये क्या है..., ...फिर उनसे एक रेंगते..से जीव ...