लेखनी कहानी -21-Dec-2021

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लड़खड़ाते  हैं कदम तो फिर संभलना सीखिए  वक्त के मानिंद अब खुद को बदलना सीखिए  तुम सहारे ग़ैर के  कब तक चलोगे इस तरह  चाहते मंजिल अगर तो खुद भी चलना ...

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