134 Part
151 times read
1 Liked
पथ के दावेदार : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय (बांग्ला उपन्यास) अध्याय 3 भारती हंस पड़ी। बोली, “यदि म्लेच्छ जीवनदान दे तो उसमें कोई दोष नहीं, लेकिन मुंह में जल देते ही प्रायश्चित्त होना ...