प्रेम

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प्रेम एक परिशुद्ध भाव है,जो सोच समझ से परे है, प्रेम कभी सोच समझ के नहीं होता ,जो सोच समझ के किया जाए वो प्रेम नहीं होता। - Nishita mangal ...

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