134 Part
205 times read
0 Liked
श्रीकान्त : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय (बांग्ला उपन्यास) अध्याय 17 वैष्णवी ने आज मुझसे बार-बार शपथ करा ली कि उसका पूर्व विवरण सुनकर मैं घृणा नहीं करूँगा। “सुनना मैं चाहता नहीं, पर अगर ...