स्वप्न सुंदरी

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स्वप्न सुंदरी  गजल  मैं आजकल नशीली आंखों से पी रहा हूं  तेरे अधरों का शहद पीने से ही जी रहा हूं  दहकते अनार से गालों पे नज़र चिपक गई  इनमें पड़े ...

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