134 Part
182 times read
0 Liked
देवदास ःशरतचन्द्र चट्ट कलकत्ता आये हुए डेढ़ महीना हो गया। आज उसके ब्रह्म प्रसन्न हुए। रात के ग्यारह बज गये थे, हताश मन से वह घर लौट रही थी। इतने मे ...