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बारिशों ने रोका बहुत, मगर हवाओं का गुरुर नहीं गया बनकर तूफ़ान वो अपने फ़ितूर में खोया आया था उजाड़ने महज़ इंसानों की एक झोपड़ी झोपड़ी के छज्जे में छिपे चिड़ियों ...