बेजान सी मंजिल ,बेजान सा सफर

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वक्त मुझसे पूछ रहा , कैसे जी पाएगा तू इस दुनिया में! जहां पर प्रीत केवल पीड़ा देती है! खुशियां केवल गम देती है! उम्मीदें केवल अंधेरे की ओर ले जाती ...

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