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वह प्रांगण जो श्रृंगारित है. ...... हरित पर्णपाती तुलसी से.. .... शांति स्नेह की धारा बहती.. .. क्लेश संताप तीक्ष्ण मिटाती.. .. हर क्षण वायु दान प्राण बन .. .. आराधित ...