बेख़ौफ़ हंसी

1 Part

132 times read

7 Liked

इतनी बेखौफ हंसी,  कैसे हँसती हो तुम। डर नहीं लगता यूँ खुलकर मुस्कराने से, छत पर गुनगुनाते हुए, गीले बालो को सुखाने से। आईने में घंटो निहारती रहती हो खुद को, ...

×