देवांगना--आचार्य चतुरसेन शास्त्री

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8. सुखानन्द का आगमन : देवांगना प्रातःकाल का समय था। विहार का सिद्धिद्वार अभी खुला ही था। इस द्वार से नागरिक श्रद्धालु जन, श्रावक और बाहरी भिक्षु विहार के बहिरन्तरायण में ...

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