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सावन के अंधन दिखै, हरियाली चहुँ ओर। कैसे कोइ भला लगै, जब मन ही में चोर।। जब मन ही में चोर, कैसे देखे भलाई। भरते फिरे हैं हामी, जहां मिले मलाई।। ...