धारा

1 Part

300 times read

2 Liked

कभी ना रुके मेरी ये कविता धारा बस डर कर यही सोच कर में लिखता हूँ, कही सुख ना जाए मेरी आशा की धारा ।। कभी कभी यही सोचता हूँ मैं, ...

×