देवांगना--आचार्य चतुरसेन शास्त्री

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20. रहस्योद्घाटन : देवांगना निरापद स्थान पर आकर सुखदास ने कहा—"अब यहाँ ठहरकर थोड़ा विचार कर लो भैया।" परन्तु दिवोदास ने उत्तर दिया—"हमें यहाँ से भगा चलना चाहिए।" "नहीं, अभी नहीं, ...

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