देवांगना--आचार्य चतुरसेन शास्त्री

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28. प्रतिमा : देवांगना दिवोदास की छेनी खटाखट चल रही थी। भूख-प्यास और शीत-ताप उसे नहीं व्याप रहा था। अपने शरीर की उसे सुध नहीं थी। वह निरन्तर अपना काम कर ...

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