लेखनी प्रतियोगिता -08-Jan-2022

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सोचते-सोचते तुम्हें हम यूं ही सो गए  कैसी है हसरते जिनमें हम खो कर रह गए   खुली जब आंख हकीकत से आंख मिल गई    कांच से मेरे ख्वाब  चूर ...

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