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क़लम कितना लिखती हो तुम कलम कितना लिखती हो तुम, मन में छिपे अगणित भावों को। कागज पर कैसे उकेरती हो तुम, क्या तुम कभी थकती नहीं हो। परिश्रम कितना करती ...