रविंद्रनाथ टैगोर की रचनाएं

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कवि और कव ४ राजदरबार में एक युवक आया, दरबारी चिल्ला उठे- 'अरे, यह तो वही संन्यासी है जो उस दिन राजमहल के सामने गा रहा था। राजा ने मालूम किया- ...

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