क्षितिज

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क्षितिज को देख  होता है भ्रम आकाश से धरा   मिलन का आगोश में भर  लेने को आकाश मचल  रहा होता परछाइयां सागर में  जब जब दिखती लगता हुई प्रेम अगन  पूरी ...

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