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अपनों की चिताओं पर दीप जला, हंसकर मैं दिवाली मनाऊं, हे राम!बताओ शांति की कितनी बड़ी कीमत चुकाऊं..? क्या शांति के नाम बाप के कंधे बेटे की देह मरघट पहुंचाऊं, एक ...