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मुक्तक----- काश रब की हो जाए सदाबहार मेहरबानी न कोई घर रहे सूना,न तन्हा रहे कोई प्राणी एकाकी जीवन हमेशा खुशियां छीन लेता है सुकून के बदले इंसान रंजोगम में जीता ...