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ढलती शाम, बढ़ता अंधेरा न जाने कब होगा, सुहाना सवेरा धरम भी बिकता, करम भी बिकता। पग पग लगता अधरम का डेरा।। क्यों इतनी है उथल पुथल अब, अरे क्यो लड़ ...