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यह कैसी पुष्पवर्षा होता, किस वीर का ना जाने आगमन होता, दुर्योधन मन -मन विचलित होता, अपने पिता की और चिंतित देखता, है द्वारपालो की स्वर जब ऊंची होता, नजर द्वार ...