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है अर्जुन धर्म का पालन करो ना खींच मेरा रथ ओह देवकीनंदन, मेरा हृदय मेरे मस्तक में होवे चिंतन, भुजाओं में जैसे आ गया एक परिवर्तन, कैसे महायुद्ध करू जब सामने ...