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एक नई ग़ज़ल पेश है सब कुछ छोड़ कर चल दिये एक मन्ज़िल के लिए मगर दुनिया तमन्नाई है आज भी हमारे दिल के लिए क्यों सजाते रहते हो अपने चमन ...