वरदान हो तुम

1 Part

288 times read

10 Liked

कविता शीर्षक - वरदान हो तुम ************** श्रद्ध तरंग की सुगंध बिखरते, वसंत से मनोरम अहसास हो तुम। बसते हो कहीं,बहते हो कहीं,  जीवन की प्रेम भरी पुकार हो तुम छंद ...

×