मैं स्त्री हूॅ॑

1 Part

371 times read

14 Liked

हां ..... मैं स्त्री हूॅ॑। किसी नदी की तरह, अविरल और निरंतर  अपनी धुन में बहती हुई, सबकी गंद समेटती हुई, समय और जगह से ढलती हुई, मेरा मन है उथला, ...

×