रविंद्रनाथ टैगोर की रचनाएं--विदा--3

114 Part

125 times read

0 Liked

3 विवाह का दिन ठीक अकाल की पूर्व लग्न पर ही आकर पड़ा। उस दिन की शहनाई की हर तान आज मुझे स्मरण हो रही है। उस दिन के प्रति मुहूर्त ...

Chapter

×