रविंद्रनाथ टैगोर की रचनाएं--विदा--4

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4 मां ने स्वर को धीमा करके कहा- "तू क्या मुझे झूठा ठहराना चाहती है?" हेम ने फिर वही दुहराया- "बाबूजी कभी झूठ नहीं बोलते।" इसके बाद मां जितना भी अपवाद ...

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