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गज़ल नहीं शीत नहीं घाम सुहाने मौसम में। लगे बौरने आम सुहाने मौसम में।। बाग महकते बुला रहे हैं भवरों को। फूले फूल तमाम, सुहाने मौसम में।। हरियाली धरती की कितना ...