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गज़ल जीवन को महकाया करता था, वो संदल छीन लिया। कुदरत ने मुझको दुख देकर, खुशियों का पल छीन लिया।। दुख ऐंसा पाया है जिसकी, दिखती कोई थाह नहीं। आंसू के ...